किसी भी शाबर मंत्र सिद्ध करने के लिए हजारों लाखों की संख्या में जप करने की आवश्यकता नहीं होती होली,शिवरात्रि ,दीपावली की रात को 12:00 बजे से 3:00 बजे तक का समय इस कार्य के लिए पर्याप्त होता है ग्रहण काल अमावस्या की रात्रि किसी शुभ मुहूर्त अथवा पर्वकाल आदि में भी ये मंत्र जपकर सिद्ध किए जा सकते हैं | तीन-चार घंटों का समय मंत्रसिद्धि के लिए बहुत हैऔर इतने समय में मंत्र पूरी तरह याद भी हो जाता है | एक बार मंत्र सिद्ध हो जाने के पश्चात होली दीपावली या ग्रहण काल में उसको जप कर शक्ति संपन्न तथा जागृत कर लिया जाता है|
शाबर मंत्रो को सिद्ध करने के लिए निर्जन स्थान शिव, काली ,हनुमान या भैरव का मंदिर अथवा श्मशान ठीक रहता है | भय की आशंका हो तो गुरु या अन्य साधक मित्र को साथ लिया जा सकता है | मंत्र देवता के अनुसार कुछ पूजा सामग्री - फल -फूल ,सिन्दूर ,धूप दीप और मिठाई साथ में रखना चाहिए | फूलो में आक ,कनेर या लाल गेंदे के फूल ,फलों में बेल, बेर या करौंदा जैसे वनफल ,मिठाई में बूंदी के लड्डू ,बेसन के पदार्थ ,गुड़ -आटे के गुलगुले आदि व सिंदूर ,धूपदीप आदि सभी वस्तुए अरंडी के पत्ते पर रखकर ,पूजा -स्थल पर रख ले और देवता का दीपक घी के आटे से बनाये |
किसी भी शाबर मंत्र को साधते समय ब्रह्मचर्य और शाकाहार का पालन किया जाता है तो अति उत्तम रहता है | अन्यथा मंत्र -जाप के समय पाक -साफ होकर तो बैठना ही चाहिए | जहा पर -पीडन पाप माना जाता है ,वही परोपकार करना पुण्य माना गया है | कोई भी साधक यदि इस द्रष्टिकोण लेकर ,मानसिक तथा दैहिक रोगो के निवारण करने वाले शाबर मंत्र सिद्ध कर ले अच्छा रहेगा |
सिद्धि हो जाने पर ही मंत्र प्रभावी होतो है | किन्तु एक समय में एक ही मंत्र सिद्ध होता होता है | एक व्यक्ति जितना चाहे मंत्र सिद्ध कर सकता है | इनमे शर्त यही होती है की साधक परोपकार की भावना से ही काम करे ,लोभ -लालच आने पर सिद्धि चली जाती है | किसी भी शाबर मंत्र को सिद्ध करने से पहले इस मंत्र को 11 या 21 बार जप लेना चाहिए | इससे मंत्र -सिद्धि के बीच होने वाली सभी प्रकार की विघ्न -बाधाएं दूर हो जाती है |
मंत्र
गुरु सठ गुरु सठ गुरु है वीर
गुरु साहब सुमरों बड़ी भांत
सिंगी टोरों बन कहौ
मन नाउँ करतार
सकल गुरुन का हर भजेँ
घट्टा पकर उठ जाग
चेत सम्भार श्रीपरमहंस |
गुरु साहब सुमरों बड़ी भांत
सिंगी टोरों बन कहौ
मन नाउँ करतार
सकल गुरुन का हर भजेँ
घट्टा पकर उठ जाग
चेत सम्भार श्रीपरमहंस |
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