मनुष्य के शरीर मे कभी-कभी ऐसे रोग उत्पन्न हो जाते है,जो देखने में तो आम रोगो की भांति होते हैं, किन्तु उनका उपचार मनुष्य निर्मित औषधियों से संभव नहीं होता । ऐसे रोग जब वनस्पति तंत्र से भी दूर नहीं होते तो निराश होकर साबर मंत्रों का सहारा लेना पड़ता है साबर मंत्र इतने प्रभावशाली होते हैं कि उनके प्रयोग करने से रोक सहज ही दूर हो जाते हैं यहां हम जिन साबर मंत्रों का उल्लेख कर रहे हैं वे सभी रोग निवारण करने में अद्वितीय हैं
सर्व रोग निवारक शाबर मंत्र
शरीर में चाहे जो रोग हो और वह रोग केवल साबर मंत्र द्वारा ही जाने वाला हो, तो निम्नलिखित मंत्र को सिद्ध करके प्रयोग में लाना चाहिए ।
मंत्र
वन में बैठी वानरी अंजनी जायो हनुमन्त, बाला, डमरु व्याही, बिलाई, आंख की पीड़ा, मस्तक पीड़ा, चौरासी बाय, बली बली भस्म होई जाए, पके न फूटे पीड़ा करे तो गोरख जती रक्षा करें, गुरु की शक्ति, मेरी भक्ति, फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ।
इस मंत्र को सवा लाख बार जपना चाहिए, तब यह मंत्र सिद्ध होता है । सवा लाख जप की संख्या जिसे 41 दिनों में अवश्य पूरा किया जाना चाहिए । इसे मंत्र सिद्ध हो जाता है मंत्र की जप क्रिया हनुमान प्रतिमा के समक्ष बैठकर अथवा हनुमान मंदिर में रहकर की जाती है । मंत्र सिद्धि के पश्चात किसी भी रोग को दूर करने के लिए, 108 बार मंत्र पढ़कर मोर पंख से झाड़ा लगाना चाहिए तथा हनुमान जी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाए रखना चाहिए । ऐसा करने से सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं तथा जब रोगी ठीक हो जाए तब उसको ₹11 या जितनी भी श्रद्धा हो उतने रुपये का प्रसाद हनुमान मंदिर में चढ़ाना चाहिए । इस प्रकार से हनुमान जी समस्त रोगों को दूर कर देते हैं । यह है यह मंत्र स्वयं सिद्ध एवं बहुत ही शक्तिशाली है।
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