मनुष्य के शरीर में नेत्र सबसे अधिक महत्वपूर्ण अंग है । बिना नेत्रों के संसार में अंधेरा ही अंधेरा है । इसलिए नेत्रों की सुरक्षा करना, प्रत्येक मनुष्य का प्रथम कर्तव्य है । बहुत से ऐसे रोग अकस्मात हो जाते हैं, जिनका तत्काल उपचार न कराया जाए, तो दृष्टि - दोष उत्पन्न हो सकता है, दृष्टि भी जा सकती है । निम्नलिखित शाबर मंत्रों का प्रयोग अनेक प्रकार के नेत्र विकारों को दूर करने में सक्षम है
ॐ नमो राम का धनुष लक्ष्मण का बाण
आंख दर्द करे तो लक्ष्मण कुमार की आण
किसी मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शमशान में जाकर, 10 माला (108 मनको की ) जप कर मंत्र सिद्ध कर लेना चाहिए । जब किसी की आंख में दर्द हो, आंखें लाल हो, तो आंखों को नीम की हरी डाली से स्पर्श करके, मंत्र को सात बार पढ़कर झाड़ा लगाये । इससे तुरंत आराम हो जाएगा ।
दूसरा मंत्र
ॐ अंगाली, बंगाली अताल पताल गर्द मर्द
अदार कटार फट फट उट कट ॐ हुं हुं ठ: ठ:
रविवार अथवा मंगलवार के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर, एकांत में शुद्धता पूर्वक उपरोक्त मंत्र का एक माला जप करें । फिर आम की लकड़ी की अग्नि में, हवन सामग्री द्वारा 108 आहुतियां देकर मंत्र को सिद्ध कर लें । जिस किसी को नेत्र व्यधि हो रविवार या मंगलवार के दिन उसे सामने बिठाकर मंत्र को पढ़ते हुए सर से पांव तक 21 बार झाड़ा दे । इस प्रकार की नेत्र व्याधि इससे दूर हो जाएगी ।
तीसरा मंत्र
ॐ झल मल जहर भरी तलाई अस्ताचल पर्वत से आई जहां बैठा हनुमंता जाई फूटै न पकै न करै पीड़ा मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा सतनाम आदेश गुरु को ।
दीपावली की रात्रि के इस मंत्र को 108 बार पढ़ कर सिद्ध कर लें । आवश्यकता के समय नीम की टहनी से मात्र 11 बार झाड़ा देने से नेत्रों की पीड़ा दूर हो जाती है ।
चौथा मंत्र
उत्तर दिशि कूल कामाख्या सुन योगी की वाचा इस्माइल योगी की दो बेटी एक के सिर पर चूल्हा दूसरी काटै माडी फूला लोना चमारी दुहराए फूली काछा शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र ईश्वरों वाचा
रविवार या मंगलवार के दिन प्रातः रोगी और मंत्र साधक दोनों स्नान करके साफ कपड़े पहनकर, आमने सामने बैठ जाएं । साधक उपरोक्त मंत्र को 22 बार पढ़े और भूमि पर चाकू से हर बार मंत्र की समाप्ति पर आड़ी तिरछी रेखाएं खींचकर काटे और रोगी की आँख पर फूंक मारे । यह क्रिया 21 दिनों तक जारी रखनी चाहिए । रोगी की आँखे फूला उजाला से मुक्त हो जाए ।
पांचवा मंत्र
ॐ नमः झिलमिल करे गरल भरी तलैया पश्चिम गिरी से आई करन भलैया तहं आय बैठेउ वीर हनुमंता न पीडे न पाकै नहीं फहन्ता यती हनुमंता राखें होड़ा
रविवार या मंगलवार के दिन से प्रारंभ करके 7 दिनों तक, नीम की ताजा टेहनी तोड़कर उस की पत्तियों से 7 बार मंत्र पढ़कर आँखो पर फेरते हुए झाड़ा देने से, सब प्रकार की आंखों की पीड़ा दूर हो जाती है ।
छटा मंत्र
ॐ भाट भाटिनी निकली कहे चलि आई उस पार भाटिनी बोली हम बिआइब उसकी छाली बिआइब हम उपसमाछी पर मुंडा मुंडा अंडा सोहिल तारा तारा अजय पाल राजा उतर रहे पार अजय पाल पानी भरत रहे मसकदार यह देख बाबा बोलाउ गोड़िया भला उजार तैके हम अधोखी जाए रतौंधी ईश्वर महादेव की दुहाई उतर जाए
इस मंत्र को सिद्ध करने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती । इसमें नेत्र रोगी को सामने बिठा कर, 21 बार मंत्र पढ़कर आंख पर फूंक मारें । यह प्रयोग 21 दिनों तक करने से रोगी का तिमिर रोग यानि आंख का रोग समाप्त हो जाता है । यह प्रयोग रविवार या मंगलवार के दिन से आरंभ करना चाहिए ।
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