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शिरोपीडा नाशक शाबर मंत्र-Shiropida Perishable Shabar Mantra

शिरोपीडा नाशक शाबर मंत्र

अत्यधिक मानसिक तनाव मादक द्रव्यों का अत्यधिक मानसिक तनाव, मादक द्रव्यों का  अत्यधिक सेवन, भय और अनिद्रा जैसे कारणों से शिरोपीडा रोग अर्थात सिर में पीड़ा उत्पन्न हो जाती है । यह रोग कभी-कभी उग्र रूप ले लेता है । मृत्यु से भी अधिक दारूण यंत्रणा इसमें झेलनी पड़ती है । मानसिक तनाव कभी-कभी इतना अधिक बढ़ जाता है कि मस्तिष्क की शिराएं फट जाती है (जिसे ब्रेन हेमरेज कहते हैं) और मृत्यु एक प्रकार से निश्चित हो जाती है । निम्नलिखित मंत्रों का प्रयोग इस रोग में लाभकारी है ।

ॐ नमः आज्ञा गुरू को केश कपाल में भेजा बसै, भेजा में कीड़ा कीड़ा करें न पीड़ा कंचन की छेनी रुपे का हथौड़ा पिता ईश्वर गाड़ इनको श्रापे को महादेव तोड़े शब्द साँचा पिण्ड कांचा फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।


किसी शुभ मुहूर्त अथवा रविवार या मंगलवार को उपरोक्त मंत्र को 108 बार पढ़कर और 21 बार लोबान की धूनी देकर सिद्ध कर ले । जब कभी शिरोपीड़ा का रोगी आए तो उसे सामने बिठाकर, मंत्र को पढ़ते हुए, थोड़ी सी राख जमीन पर बिछाए और उंगली से उसे 7 बार काटे तथा 7 फूंक रोगी के सर पर मारे । दो-तीन दिन यह प्रयोग करने से रोगी को आराम हो जाएगा ।

दूसरा मंत्र 

हजार घर घालै एक घर खाए आगे चले तो पीछे जाए फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा

रोगी को सामने बिठाये और उसका माथा पकड़ कर यह मंत्र पढ़ें सिर पर फूंक मारें । यह क्रिया 7 बार करें यह प्रयोग सुबह-शाम 3 दिन तक करने से सिर का दर्द समाप्त हो जाता है ।

तीसरा मंत्र 

लंका में बैठ के माथ हिलावै हनुमंत सो देखि राक्षसगण पराय दुरन्त बैठी सीता देवी अशोक वन में देखि हनुमन्त को आनंद भई मन मे गईं उर विषाद देवी स्थिर दरसाय इसी में 'अमुक' के सिर व्यथा पराय 'अमुक' के नही कुछ पीर नही कछु भीर देस कामाख्या हाड़ी दासी चण्डी की दोहाई


शिरोपीड़ा से आक्रांत व्यक्ति को इस प्रकार बिठाये कि उसका मुख दक्षिण की ओर रहे । फिर उसका माथा पकड़ कर, फूक मारे । 21 बार मंत्र पढ़कर फूंक मारने से शिरो पीड़ा दूर होती है । मंत्र में अमुक के स्थान पर रोगी का नाम लेना चाहिए ।

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