यह व्याधि भी सिरो पीड़ा के अंतर्गत ही आती है । इसमें मनुष्य के केवल आधे सिर में दर्द होता है । जिस तरफ़ सिर में दर्द होता है, उस तरफ की कनपटी में भी पीड़ा होती है । यह रोग बेचैन कर देने वाला है । रोगी को प्रतीत होता है, जैसे उसका आधा सिर फटा जा रहा हो । निम्न शाबर मंत्रों का उपयोग करके मनुष्य को इस रोग से मुक्ति दिलाई जा सकती हैं ।
ॐ नमो वन में व्याई वानरी उछल डाल पे जाय कूद कूद के डाल पे कच्चे वन फल खाय आधा तो आधा फोड़े आधा देय गिराय हुंकारत हनुमानजी आधासीसी जाय ।
उपरोक्त मंत्र का जप सूर्य ग्रहण, दीपावली की रात अथवा किसी अमावस्या की रात में 1001 बार दीपक जलाकर जप करने से सिद्ध हो जाता है दर्द के स्थान पर थोड़ी सी राख मल कर 7 बार मंत्र पढ़ने से आधासीसी का दर्द दूर हो जाता है ।
दूसरा मंत्र
ॐ नमः आधाशीशी टारी हुं हूं हुंकारी दुपहरी प्राचानी आँखिया मूंद मुख पाल डारी अमुक को पीर रहे तो दुहाई गौरी की आदेश फुरो ॐ ठं ठं स्वाहा ।
रोगी को सामने बिठाए । सेंधा नमक की डली को पानी की सहायता से सिल पर घिसे । अब 21 बार मंत्र पढ़कर रोगी के सिर पर फूंक मारे तथा सेंधा नमक का लेप चंदन की भांति रोगी के माथे पर लगाएं । इससे रोग दूर हो जाएगा। मंत्र में अमुक के स्थान पर रोगी का नाम ले ।
तीसरा मंत्र
शंकर शंकर खोजा जाई शंकर बैठे जंगल जाई भूत बेताल जोगिनी नचाय सब देवन की जय-जय मनाय ब्रह्मा विष्णु पूजे जाय अधकपारी दर्द पीड़ा छुड़ाय ।
विजयदशमी अथवा दशहरे के दिन 1100 सौ बार जपकर और 21 बार लोबान की आहुति देकर मंत्र सिद्ध कर लें । आवश्यकता पड़ने पर रोगी को सामने बिठाए और उसके सिर पर जल की धार छोड़ते हुए मंत्र पढ़ें । किसी बड़े लोटे को जल से आधा भरकर पहले ही रख ले । 139 बार मंत्र पढ़कर उतनी ही बार जलधारा छोड़नी चाहिए । थोड़ा जल लोटे में शेष भी रहना चाहिए । उस शेष जल को रोगी के ऊपर से उतार कर किसी चौराहे पर डाल आए । सदा के लिए रोगी को इस दर्द से मुक्ति मिल जाएगी ।
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