विश्व के अधिकांश देशो में भूत - प्रेतों के अस्तित्व को स्वीकार किया जाता है | विभिन्न लोककथाएँ , मिथकीय संदर्भ, पौराणिक आख्यान और धार्मिक मनात्यें - यह सब मिलकर भूत - प्रेतों के अस्तित्व का समर्थन करते है | यह बात अवश्य है की भूत प्रेतों के अस्तित्व विश्वसनीय होने पर भी उनकी रुपरेखा निशिचत नही है | इनका मुख्य कारण यह है की ये भौतिक रूप में स्थूल शरीरधारी न होकर , सूक्षम्काए, वायव्य -शरीरी होते है तभी इन्हे ' वायव्य आत्माए ' कहा जाता है | स्पष्ट रूप से इन्हे देखा तो नही जा सकता , किन्तु किन्ही विशेष अवसरों पर इनकी आवाज को सुना जा सकता है | सौम्य और दुष्ट ! सौम्य भूत प्रेत तीव्रगामी , वयुचारी , इच्चा - वपुधारी , अदम्य शक्ति -संपन्न , दयालु और संतुष्ट हो जाने पर परम सहायक सिद्ध होते है | सौम्य भूत - प्रेत भयंकर , हिंसक , क्रूर ,मारक ,पीडक और हानि पुह्चाने वाले होते है | सौम्य भूत -प्रातो की भांति इनकी संख्या भी विपुल है | ये किसी भी स्त्री - पुरुष को कहीं भी , किसी भी समय परेशान कर सकते है |
जिस व्यक्ति पर भूत - प्रेत की छाया पडती है | उसकी मानसिकता क्षण भर में बदल जाती है | वह अपनी मौलिक चेतना , प्रगति , प्रकृति - स्वाभिक , भावना , व्यहार , रूचि और कार्य -कलाप त्यागकर ,विकृत रूप में , सब कुछ अस्त -व्यस्त , असंगत असामयिक अस्थिर रूप में करने लगता है | कभी -कभी वाय्व्योंन्माद इतना बढ़ जाता है की व्यक्ति या तो जीवन भर के लिए पागल हो जाता है अथवा घोर नारकीय -यंत्रणा सहेते हुए , अंततः बड़ी दयनीय मृत्यु को प्राप्त होता है | यदि भूत - प्रेत ग्रस्त रोगी का उपचार समय पर ही हो जाय , तो वह ऐसे घातक कष्ट से शीघ्र मुक्ति प् सकता है | भगवान संकर द्वारा रचित और गुरु गोरखनाथ द्वारा प्रचलित , इन विख्यात शाबर मंत्रो में अनेक मंत्र ऐसे है , जिनके प्रयोग से भूय - प्रेत दूर कर , व्यक्ति को स्वस्थ और निरोग किया जा सकता है |
प्रेत बाधा से मुक्ति का मंत्र
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