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बहेड़ा(Terminalia bellirica) और अपामार्ग या ओंगा (Achyranthes Aspera)-तंत्र (tanra)

बहेड़ा(Terminalia bellirica) और अपामार्ग या ओंगा (Achyranthes Aspera)-तंत्र (tanra)

आयुर्वेद में बहेड़ा को बड़ा गुणकारी माना गया है| तंत्र प्रयोग में भी इसका बहुत अधिक प्रयोग है | मनीषियों ने इसके संबंध में बताया है कि यदि वनस्पति तंत्र के नियमानुसार,पूर्व निमंत्रण देकर रवि पुष्य योग में इसे लाया जाए,तो इससे अनेक प्रकार के प्रयोग सिद्ध किए जा सकते है| कुछ प्रयोगो का उल्लेख निचे किया जा रहा है|      

1. मंत्र सिद्ध-(Proven) किया बहेड़ा का पत्ता और मूल भंडार,तिजोरी,संदूक या गल्ले में अथवा घर के किसी पवित्र (holy) स्थान में रखने से धन धान्य(money grain) की वृद्धि होती है| व्यापारिक(business) कार्यो में तेजी आती है | समृद्धि होती है| बहेड़ा का यह बहुत ही सहज और प्रभावशाली प्रयोग(effective uses) है|

2. उदर-सबंधी विकारों के निवारण में बहेड़ा का मूल आश्चर्यजनक प्रभाव दिखता है| बहेड़ा को अभिमंत्रित करके रोगी व्यक्ति भोजन करते समय उसे अपनी दाहिनी जंघा के नीचे दबाकर बैठे| ऐसी स्थिति में किया गया भोजन सुपाच्य और पोषक(nutritious) बनकर आरोग्य प्रदान करता है| बहेड़ा को अभिमंत्रित करने की विधि यह है-पूर्व निमंत्रण देकर और रवि पुष्य योग में पत्र और मूल लेते समय निम्न मंत्र का जजाप करना चाहिए -
    
ॐ नमः सर्व भूताधिपतये ग्रस ग्रस शोषय भैरवी चाज्ञायति स्वाहा | 

घर ले आने पर पंचामृत से स्नान कराकर धूप-दीप से विधिवत उनकी पूजा करें | इस समय भी उपरोक्त मंत्र का जप करतें रहें और प्रयोग के समय मंत्र का 21 माला जप करें तथा 21 बार आहुति देकर हवन क्रिया करें| इस विधि से पूजित भेदा का पत्र और मूल अदभुत(amazing) शक्ति से संपन्न हो जाते हैं| बहेड़ा काका पत्र तो अनेक प्रकार की भौतिक-बाधाओं के निर्वाण में बहुत समर्थ -सिद्ध हुआ है | यह जिस घर में होगा वहाँ बहुत-प्रेत,टोना-टोटका और मुठादि का कोई उपद्रव नहीं हो पाएगा |


ओंगा-तंत्र
बहेड़ा(Terminalia bellirica) और अपामार्ग या ओंगा (Achyranthes Aspera)-तंत्र (tanra)


इसे लटजीरा या चिरचिटा भी कहते है तथा आयुर्वेद में यह अपमार्ग के नाम से विख्यात है| इसे ढूड़नें की अधिक आवश्यकता नहीं होती,क्योकि यह वनस्पति सहज ही सुलभ हो जाती है| इसका पौधा बरसात में उगता है | और सर्दियों में पकता है | लाल और सफेद इसकी दो जातियां है | तंत्र-विज्ञानं में  इसे बहुत महत्वपूर्ण माना गया है | महऋषियो के अनुसार ओंगा के तंत्र-प्रयोग से दैनिक जीवन की कितनी ही आवश्यकताए पूरी की जा सकती है | ओंगा का पूरा पौधा ही प्रयोजनीय है | तंत्र-ग्रंथो में ओंगा का वर्णन करते हुए कहा गया है | की रवि पुष्य योग या गुरु पुष्य योग अथवा किसी भी शुभ महूर्त,शुभ पर्व या शुभ दिन में ओंगा का पौधा  लाकर उसे विधिवत शुद्ध करके रख ले,फिर जब भी आवश्यकता पड़ें उसका प्रयोग करें |

1. श्वेत (white) ओंगा मूल का तिलक मस्तक (head)  पर लगाने वाला व्यक्ति सम्म्होन प्रभाव से युक्त हो जाता है | 

2. लाल ( red) ओंगा की डंडी की दातुन करने से वाणी में अदभुत चमत्कार हो जाता है| किन्तु इसके लिए बड़ा धैर्य चाहिए इस प्रयोग को करने वाले व्यक्ति को वाचसिद्धि की प्राप्ति शीघ्र हो जाती है |

3. श्वेत ओंगा और बहेड़ा मूल को कपड़े की एक पोटली में बांधकर जिसके घर में छुपा दी जायगी| उस घर में रहने वालो का उच्चाटन हो जाएगा,अर्थात मानसिक अशांति उतपन्न हो जाएगी | 

4. श्वेत ओंगा की मूल पास में रखने से लाभ,समृद्धि और कल्याण की प्राप्ति होती है| शनिवार को निमंत्रण देकर रविवार के दिन मूल को लाकर और विधिवत पूजादि करके उसे जेब में रखनी चाहिए अथवा दाएं बाजु में धारण करना चाहिए | 

5. श्वेत ओंगा मूल को खूब अच्छी तरह सुखाकर और मोमबत्ती की भाँति जलाकर,उसकी लौ पर किसी छोटे बच्चे का ध्यान केंद्रित कराया जाए,तो उस बच्चे को लौ में वांछित दृश्य दिखाई देने लंगेगे | 

6. लाल ओंगा की मूल को पीसकर लेप करने से युद्ध-स्थल में शरीर पर शस्त्राघात का भय नहीं रहता | 

7. श्वेत ओंगा के चार अंगुल मूल को स्त्री की जननेन्द्रिय में रखने से वेदना समाप्त हो कर प्रसव शीघ्र हो जाता है | 

8. श्वेत ओंगा की पत्तियों को पीसकर लेप करने से बिच्छु के विष का प्रभाव समाप्त हो जाता है | साथ ही ओंगा मूल को सुंघा कर सात बार सर से पाँव तक फिरानी चाहिए | 

9. लाल ओंगा  की एक-दो पत्तिया चबाकर,ऊपर से गुड़ खा लें भूत ज्वर शीघ्र उतर जायगा | किन्तु पत्तियाँ गुरु पुष्य योग में लायी गई हो | 

10. रवि पुष्य योग में लाल ओंगा की मूल लाकर सुखाकर और जलाकर उसकी भस्म बनाकर रख लें एक चमच्च भस्म नित्य प्रात: दूध के साथ सेवन(the intake) करने से सन्तानफल की प्राप्ति होती है |  




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