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सहदेई,लक्ष्मणा-तन्त्र -Vernonia cinereai, Ipomoea sepiaria plant uses of Tantra

सहदेई,लक्ष्मणा-तन्त्र -Vernonia cinereai, Ipomoea sepiaria plant uses of Tantra


यह तांत्रिक दृष्टि से बहुत ही लाभदायक और अदभुत गुणों से सम्पन्न अमूल्य वनस्पति है | इसे सहदेवी के नाम से भी जाना जाता है | शनिवार को निमन्त्रण दे आने के बाद रविवार को रवि पुष्य नक्षत्र में निम्न मन्त्र का जप करते हुए | जल अर्पण करके समूचा पौधा उखाड़ लें| और घर लाकर उसे देव-प्रतिमा की भांति पंचामृत से स्नान कराकर शुद्ध आसन पर रखे धूप-दीपादि से पूजा करके, निम्न मन्त्र को इक्कीस बार जपते हुए पौधे की स्तुति करे|
प्रातः पौधे के पास जाने से लेकर,पूजा - समाप्ति तक साधक को सर्वथा मौन रहना चाहिए | यथा संभव एकांत भी रहे,इसका कारण यह है कि दूसरे की उपस्थिति से तन्मयता भंग होती है तथा लोगो को हास्य पूर्ण अथवा अशुभ दृष्टि से साधना में भी विघ्नता उत्पन्न हो जाती है | मंत्र जप के पश्चात् आवश्यकता अनुसार पौधे को प्रयोग में लाना चाहिए | मंत्र यह है

ॐ नमो रूपवतीं सर्वप्रोतेति श्री सर्वजनरंजनी सर्वलोककारनी 
सर्वसुखरंजनी महामाईल घोल थी कुरु कुरु स्वाहा 


इस प्रकार तंत्रोक्त विधि से प्राप्त और पूजित सहदेई का पौधा अनेक प्रकार के दिव्य गुणों से युक्त हो जाता है | इसे अत्यंत धन - सम्पत्ति दायक माना गया है|

1. सहदेई मूल को लाल कपडे में लपेट कर तिजोरी ,अन्न -भंडार,आभूषण-पेटिका आदि मि रखने से धन-संपत्ति में आशातीत वृद्धि होने लगती है |यदि इसे दुकान के पूजा-स्थल पर रखा जाए तो दुकान के कारोबार मि तेजी आ जाती है |
2. पौधे को घर के पूजा स्थल में स्थापित कर,नित्य उसके पूजा दर्शन से घर में खुशहाली रहती है | किसी के बीच में कोई मनमुटाव  भी उत्पन्न नहीं होने पाता |
3.पौधे के पंचांग का चूर्ण अभीष्ट व्यक्ति को खिलाने से वः वशीभूत हो जाता है | साथ ही इस चूर्ण को गाय के घी के साथ, मासिक-धर्म के पांच दिन पूर्व से, पांच दिन बाद तक निमियत रूप से सेवन करने वाली स्त्री को संतान का लाभ होता है |
4. पंचांग को पीसकर, माथे पर तिलक की भांति लगाने से मान-सम्मान की वृद्धि होती है | सामाजिक सम्मान प्रदान करने मई यह बहुत ही लाभदयक रहता है |
5. मूल को गंगाजल में घिसकर, नेत्रों में आंजने से सम्मोहक-प्रभाव उत्तपन हो जाता है |
6. यदि कोई स्त्री प्रसव-वेदना से व्याकुल हो तो, मूल को तिल के तेल में घिसकर स्त्री के जननेंद्रिय पर लेप करने से अथवा लाल धागे के सहायता से कमर में बांध देने से,प्रसव सहज ही हो जाता है तथा वो पीड़ा से भी मुक्त हो जाती है |
7. सहदेई मूल के ताबीज को बाचो के गले में पहनाने से कंठमाला का रोग दूर हो जाता है |
सहदेई,लक्ष्मणा-तन्त्र -Vernonia cinereai, Ipomoea sepiaria plant uses of Tantra

लक्ष्मणा-तंत्र 

इस बात को बहुत कम लोग जानते है कि लक्ष्मण नमक यह वनस्पति तंत्र-प्रयोगो में प्रयुक्ति की जाती है तथा यह असाधारण गुण-संपन्न है | इस वनस्पति का पौधा भी सहज ही सुलभ हो जाता है | यह तभी लाभदायक सिद्ध होता है, जब सुबह मुहूर्त या रवि पुष्प योग में लाकर, मंत्र द्वारा द्वारा इसे अभिषिक्त कर लिया जाए | किन्तु इसे तांत्रिक-विधि से लाना आसान काम नहीं है | दो वियक्ति त्से लेने जाते है | मुख्य साधक पूर्णतया ननननावस्था नग्नावस्थामें, मूल मंत्र के साथ, 'तुक्ष-तुक्ष ', कहकर लक्ष्मणा वनस्पति के पंचाग को प्राप्त करता है और दुसरा व्यक्ति दीपक लिए, उसे प्रकाश दिखता है | यह कार्य बहुत सवेरे, अँधेरे में, बासी मुँह किया जाता है | मूल मन्त्र यह है -

ॐ नमो . भवावे भगवते रुद्राय सर्ववदनी त्रैलोक्य कास्तरणी हूँ फट् स्वाहा ।



घर लाकर पंचाग (पौधे ) को गंगाजल से स्नान कराये तथा पंचोपचार पूजा करें | पूजनोपरांत उपरोक्त मन्त्र का एक माला जप करें | फिर मन्त्र-सिद्ध पौधे का निम्न कार्यो में प्रयोग करें-

1. लक्ष्मणा का पंचाग जल में पीसकर गोली बनाये | यह गोली मन्त्र पढ़कर, जिसे भी खिलाई जाएगी, वह वशीभूत होगा |
2. मूल को चूर्ण के  घिसकर लेप बनाएं | इस लेप का तिलक करके जिसके सामने जाएंगे, वो ही अनुकूल कार्य करेगा |
3. मूल का कवच गले या बाजू में धारण करने से  रोग और क्षेत्र से रक्षा होती है |
4. पंचांग के चूर्ण को उपरोक्त मन्त्र से अभिमंत्रित करके, चालीस दिनों तक नित्य सेवन करने से काम सकती में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हो जाती है |















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