दोस्तों आज मैं तुम्हें प्रेत सिद्धि(Phantom accomplishment )का एक ऐसा साबर मंत्र बताऊंगा जो कि पूर्ण रूप से परीक्षित(Tested) है| और ज्यादा दुष्कर(difficult) भी नहीं है दोस्तों कभी भी किसी भी शक्ति का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए केवल आत्मरक्षा (Self Defense), परोपकार(Charity) और सात्विक कार्यों की पूर्ति आदि के लिए ही प्रेत की सहायता लेनी चाहिए वैसे तो प्रेत सिद्ध व्यक्ति एक अपारशक्ति का स्वामी हो जाता है | जब वो किसी प्रेत को अपने वश में कर लेता है तो वह काफी शक्तिशाली हो जाता है ऐसी अलौकिक शक्ति को पाकर उसका दुरुपयोग कभी भी नहीं करना चाहिए |
स्वार्थ अभिचार, व्यभिचार, मारणम, उच्चाटन, और विद्वेषण कर्म तथा दूसरों को हानि पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया कर्म अंत में साधक के लिए हानिकारक ही सिद्ध होता है तथा ऐसा साधक पाप का भागीदार(Partner) भी बनता है अतः आपसे मेरा पुनः फिर से अनुरोध है कि इस मंत्र को सिद्ध होने के बाद कभी भी इसका दुरुपयोग ना करें क्योंकि जब आप किसी शक्ति से सात्विक कार्य कराते हैं तो वह बड़ी प्रसन्नता के साथ उस कार्य करते हैं | प्रेत आत्मा(Ghost spirit) भी कभी किसी असहाय और दुर्बल को कभी भी दुख नहीं देना चाहते | लेकिन जब आप जबरन उसको कोई कार्य करने को कहते है तो प्रेत वह कार्य उस समय पर तो कर देता है लेकिन अगर आपसे कोई गलती होती है तो फिर वह आपके लिए भी हानिकारक सिद्ध होता है | दुर्बल ह्रदय वालों को प्रेत सिद्ध करने का कभी भी प्रयास नहीं करना चाहिए कभी-कभी ऐसी सिद्धि जानलेवा भी हो जाती है अतः आपसे अनुरोध है सबसे पहले किसी को गुरु बना ले और गुरु धारण करने के बाद ही प्रेत सिद्धि या अन्य किसी सिद्धि को करने का प्रयास करें
अब मैं आपको वह मंत्र बताता हूं जिस मंत्र से आप प्रेत सिद्धि कर सकते हैं
ॐ साल सलीता सोसल बाई
कान पड़ता धाई आई
ॐ लं लं लं ठः ठः ठः
पहले इस मंत्र को खूब अच्छी तरह याद कर लेना चाहिए तदोपरांत कृष्ण पक्ष के शनिवार(Saturday) की संध्या काल में घर, बस्ती, गांव या शहर(City) से बाहर सुनसान और निर्जन स्थान में बबूल (Acacia) के किसी पुराने वृक्ष(Tree) के नीचे जाकर, निसंकोच शरीर के सब कपड़े उतार दें और जन्मजात नग्न होकर आम की लकड़ी जलाकर अग्नि में काले तिल काले उड़द की आहुति दें प्रत्येक आहुति के समय उपरोक्त मंत्र पढ़ते जाएं (बबूल वृक्ष की खोज पहले से कर लेनी चाहिए और सब सामग्री वहां पहले से रखनी चाहिए अथवा साथ लेकर जानी चाहिए) | निर्विघ्नं अपने कार्य में लगे रहे अर्धरात्रि के बाद कोई सौम्य या अति भयंकर किसी भी रूप में कोई आकृति दिखाई दे वह धुंधली भी दिखाई पड़ सकती है और स्पष्ट रूप में भी दिखाई पड़ सकती है वह किसी पशु रूप में भी हो सकती है और मनुष्य रूप में भी दिखाई दे सकती है साधक को समझ लेना चाहिए कि यही वो प्रेत है जिसकी वह सिद्ध कर रहा है प्रेत देखने के बाद जो अपने होश खो बैठता है या बुरी तरह भयभीत हो जाता है उसे कोई नहीं बचा सकता |
किंतु जो साहसी और निडर(Courageous and fearless) होता है वह प्रेत को देखकर भी विचलित नहीं होता उसे उसी समय दाएं हाथ की कनिष्ठा उंगली में ब्लेड आदि से चीरा लगाकर अपने रक्त की 7 बूंदें हवन की अग्नि के समक्ष टपका देनी चाहिए और साथ ही कहना चाहिए | 'हे प्रेत देव! हे अलौकिक प्राणी ! लो यह रक्तदान करके तृप्त हो जाओ और अभी से मेरी आज्ञा में रहो | उसी समय से प्रेत साधक के वश(Tame) में हो जाता है एक समझदार साधक प्रेत की सहायता से असंभव कार्य को संभव कर दिखाता है|
गोस्वामी तुलसीदास(Tulshidas) जी शौच से बचा हुआ जल नित्य एक बबूल के वृक्ष पर चढ़ाई करते थे बबूल पर एक प्रेत रहता था | बबूल के वृक्ष पर सदैव किसी ना किसी प्रेत का वास रहता है यह समझ लेना चाहिए आपको तो उस प्रेत ने प्रसन्न होकर दर्शन दिए और फिर उसी के द्वारा तुलसीदास जी को हनुमान जी के दर्शन हुए और हनुमान जी के द्वारा ही उन्हें श्री राम और लक्ष्मण के दर्शन चित्रकूट घाट पर ही हुए थे |प्रेत - सिद्धि के पश्चात इस प्रकार का लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए और अंत में मैं फिर यही कहूंगा कि किसी ने किसी गुरु को बनाकर और गुरु दीक्षा लेने के बाद ही प्रेत सिद्धि करनी चाहिए | साथ ही गुरु के दिए हुए मंत्र के द्वारा अपनी सुरक्षा करनी चाहिए अगर मेरी पोस्ट(Post) आपको अच्छी लगी हो तो आप इसे लाइक और शेयर जरूर करें ताकि ताकि यह ज्ञान सभी को मिल सके और दोस्तों कमेंट जरुर करना
गोस्वामी तुलसीदास(Tulshidas) जी शौच से बचा हुआ जल नित्य एक बबूल के वृक्ष पर चढ़ाई करते थे बबूल पर एक प्रेत रहता था | बबूल के वृक्ष पर सदैव किसी ना किसी प्रेत का वास रहता है यह समझ लेना चाहिए आपको तो उस प्रेत ने प्रसन्न होकर दर्शन दिए और फिर उसी के द्वारा तुलसीदास जी को हनुमान जी के दर्शन हुए और हनुमान जी के द्वारा ही उन्हें श्री राम और लक्ष्मण के दर्शन चित्रकूट घाट पर ही हुए थे |प्रेत - सिद्धि के पश्चात इस प्रकार का लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए और अंत में मैं फिर यही कहूंगा कि किसी ने किसी गुरु को बनाकर और गुरु दीक्षा लेने के बाद ही प्रेत सिद्धि करनी चाहिए | साथ ही गुरु के दिए हुए मंत्र के द्वारा अपनी सुरक्षा करनी चाहिए अगर मेरी पोस्ट(Post) आपको अच्छी लगी हो तो आप इसे लाइक और शेयर जरूर करें ताकि ताकि यह ज्ञान सभी को मिल सके और दोस्तों कमेंट जरुर करना
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