राह चलते किसी गड्ढे में पैर पड़ जाने से अथवा भारी बोझ उठाने आदि कारणों से कमर में दर्द हो जाता है । कभी वात विकार के कारण भी ऐसा हो जाता है । इससे व्यक्ति को सीधा होने में भी भारी पीड़ा होती है । उसके लिए लेटना, बैठना, उठना भी कठिन हो जाता है । असहाय वेदना के कारण व्यक्ति बेचैन होता है । इस रोग में निम्नलिखित साबर मंत्र लाभकारी सिद्ध होता है ।
चलता आवै उछलता जाये भस्म करन्ता उह उह जाये सिद्ध गुरु की आन मंत्र साँचा पिण्ड कांचा फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ।
शुक्ल पक्ष के अंतर्गत रविवार या मंगलवार के दिन किसी कुंवारी कन्या के हाथ से काते गए सूत के 101 धागे लेकर रस्सीनुमा बटले । सभी धागों को आपस में मिलाते समय उपरोक्त मंत्र का जप भी करते रहे । रस्सी नुमा बट लेने के बाद 11 बार मंत्र पढ़कर धागे पर फूंक मारें यह धागा रोगी की कमर में बांधने से उसका कमर दर्द और चनका आदि दूर हो जाता है ।
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