उं ढ़ं थं दं हं | [बीज मंत्र]
ॐ नम: उं थं नमो देवी धनेश्वरी नमो भगवती| [ जप मंत्र]
जाप विधि- इस मंत्र का जाप रात्रि में किया जाता है| लक्ष्मी वे तरंगे हैं, जिनमें एकत्रित करने का गुण है| यह तरंगे नारंगी होती हैं| इसमें आसन अनाहत चक्र पर लगता है| इस मंत्र का जाप मणिपूर चक्र के अनुसार किया जाता है| मणिपूर चक्र नाभि के मूल में होता है| इसकी पंखुड़ियों में वायु, वृत में पृथ्वी, पृथ्वी के बीच भैरवी चक्र में लक्ष्मी, लक्ष्मी के अंक में[ मध्य] सिंदूरी शिवलिंग है| उसकी वैज्ञानिकता यह है कि इस चक्र के मध्य में सिंदूरी शिवलिंग है, जिससे नारंगी रंग की जड़- लक्ष्मी किरणें निकलती हैं| यह विस्तार पाकर लक्ष्मी के रूप में विकसित हो जाती है| इस मंन्त्र- जाप में नारंगी रंग पर ध्यान केंद्रित कर के 108 मंत्र का जाप प्रतिदिन के हिसाब से 121 दिन तक करना चाहिए| इसकी पूजा में विष्णु पूजा में प्रयुक्त होने वाली सभी सामग्रियों का प्रयोग करना चाहिए|
विष्णु भोगने वाला है| लक्ष्मी भोग को प्रदान करने वाली है अर्थात विष्णु का पुरुषार्थ लक्ष्मी हि फलीभूत करके उसे तृप्ति प्रदान करती है| यह मंत्र- जाप धन , श्री-संपदा,प्रभाव, भौतिक यश, सुंदर कामिनी, भोगशक्ति ,रतिशक्ति ,प्रणयशक्ति ,प्रेम का फल आदि प्रदान करने वाली है|
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