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वनस्पति तंत्र के प्रयोग(Uses of Trees Tantra) - गोरखमुंडी,मदारCalotropis gigantea) - तंत्र

वनस्पति तंत्र का प्रयोग(Use) जीवन में बहुत लाभ प्रदान(Provide) करता है| बशर्ते उसे निर्देशित विधि -मन्त्र जप द्वारा प्रयोग में लाया जाए इसका एक लाभ(Benefit) ये भी है | कि यह जहाँ तंत्र रूप में लाभकारी है,वही ओषधि रूप में चमत्कारिक भी है | इसलिये प्रयोग  करते समय मन्त्र -जप ,सिद्ध -विधि(Method) का पालन निर्देश अनुसार अवश्य करे|
वनस्पति तंत्र के प्रयोग(Uses of Trees Tantra) - गोरखमुंडी,मदारCalotropis gigantea) - तंत्र


गोरखमुंडी - तंत्र (Gorakhmundi)

नियमो के अनुसार(Accordingly) अलोकिक गुण -सम्पन्न मुंडी नामक वनस्पति (जिसे गोरखमुंडी  के नाम से भी जाना जाता है )लाकर और गंगाजल अथवा शुद्ध जल से स्नान कराकर,छाया में किसी पवित्र स्थान पर रखकर सुखा लें|जब यह वनस्पति अच्छी तरह से सूख जाये ,तो कूट -पीसकर और छानकर चूर्ण बनाकर रखें | आवश्यकता(Requirment) पड़ने पर निम्न प्रयोग में लाए-

1 . तंत्र -सिद्ध मुंडी पोधे के चूर्ण का शहद के साथ देनिक -सेवन व्यक्ति को बोद्धिक-दृष्टि से सबल और वाग्मी बना देता है |स्मरण -शक्ति कि वृद्धि(Growth) के लिए यह अचूक तंत्र है |

2 . उपरोक्त चूर्ण को जौ के आटे में दो आना भर मिलाकर छाछ में सानकर रोटी बनाएऔर वह रोटी गाय के घी के साथ सेवन करें,तो चालीस दिनों में वृद्धावस्था(Old Age) पर अवरोध लगकर,शरीर सबल, स्वस्थ और  कन्तियुक्त(Canned) हो जाएगा |

3 . नित्य एक चम्मच की मात्रा में इस चूर्ण  को गाय के दूध के साथ लेने से शरीर बलशाली हो जाता है |

विशेष :- वनस्पति तंत्र और आयुर्वेद का परस्पर गहरा सम्बन्ध है | यही कारण है की आयुर्वेद में मुंडी का कई प्रकार से प्रयोग रोगों में किया जाता है तथा आयुर्वेदिक प्रयोग में मुंडी को किसी विधि या मंत्र - जप द्वारा लाने की कोई आवश्यकता नहीं होती |

मदार - तंत्र 

नाम इंग्लिश में (Giant Milkweed, Crown Flower, Giant Calotrope, Swallow-wort)
श्वेत और बैंगनी , दो प्रकार के पुष्पों वाली मदार वनस्पति होती है | तंत्र प्रयोग में श्वेत मदार ही प्रयोग में लाया जाता है | जव भी मदार - तंत्र का कोई प्रयोग करना हो , तो उसे विधिवत निमंत्रण देकर, रवि पुष्य योग के दिन लाना चाहिए|  पौधे के पास जाकर उसकी जड़ या कोई भी अंश लेते समय मन ही मन यह मन्त्र जपना चाहिए -


ऊँं नमो भगवते श्री सूर्याय ह्रां ह्रीं हूं हूं ह्रूं ह्रः ओम सं जु स्वाहा| 


तदनंतर घर लाकर उसकी पूजा करके आवश्कतानुसार नीचे बताए गए प्रयोगों में से कोई भी प्रयोग किया जा सकता है | 
1. मन्त्र सिद्ध मदार मूल(Original) की पूजा करने से अथवा उसका टुकड़ा(Piece) ताबीज में भरकर बाजू पर धारण करने से श्री सौभाग्य(Good luck) की प्राप्ति होती है| 
2. मदार मूल को ताबीज या काले धागे की सहायता से कमर में धारण करने वाली स्त्रियाँ संतानवती अवश्य होती है| 
3. मदार मूल को गोरोचन के साथ सिल पर घिस क्र बनाए गए लेप का तिलक मस्तक पर करने से सम्मोहन का प्रभाव उत्तपन्न होता है|
4. मदार मूल को जल में घिस कर दंशित-स्थान पर लगाने से विष का प्रभाव(Effect) ख़त्म हो जाता है | 
5. मदर मूल मैनसिल,भृंगराज और गोरोचन को एक साथ पीसकर लेप तैयार करें, इस लेप को चंदन की भांति मस्तक पर लगाने से व्यक्ति गरिमामय और सम्मोहक हो जाता है| 
6. मदार मूल को बच के साथ पीसकर लेप बनाए,यह लेप शरीर के जिस भाग पर भी कर दिया जाएगा अग्नि में उसके जलने का कोई भय नहीं रहेगा | यह लेप तभी तक रहेगा जब तक यह लेप लगा रहेगा | 
7. मदार मूल,कूट,हल्दी(Turmeric) और स्वम् का ताजा रक्त  इससे निर्मित लेप द्वारा भोज पत्र पर निम्नं मंत्र को अनार की कलम से लिखें| फिर उस यंत्र को धातु या लाल कपड़े के ताबीज में रखकर दायीं भुजा पर धारण करें इस यंत्र के कारण व्यक्ति में अदभुत शक्ति का समावेश हो जाता है|  मन्त्र यह है -


ॐ नमो भगवते शिवचक्रे मालिनी स्वहा|

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