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How do we bring vegetation to the system - तंत्र के लिए वनस्पति कैसे लेकर आते है

How do we bring vegetation to the system - तंत्र के लिए वनस्पति कैसे लेकर आते है

सर्वप्रथम महूर्त का विचार(Idea) करे जिस दिन वनस्पति लानी हो या प्राप्त करनी हो | उस दिन यदि रविपुष्य योग हो तो वनस्पति का प्रभाव बहुत ही शुभ और सफलता दायक होता है | रविवार(Sunday) के दिन पुष्य नक्षत्र हो, तो उसे 'रविपुष्य योग' कहा जाता है | रविपुष्य योग में महूर्त सम्बन्धी आदि दोष स्वतः ही दूर हो जाते है | इस दिन महूर्त(Auspicious Moment) का विचार नहीं करना चाहिए | साथ ही इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए की यह योग कई महीनो के बाद ही आता है | यदि किसी कारण वश इस समय की प्रतीक्षा न की जा सके, तो लग्न का विचार कर लेना चाहिए |

मेष, कर्क , कन्या , तुला , वृश्चिक , मकर , और कुम्भ तंत्र - साधना के लिए शुभ लग्न है | वैसे तो दिन और नक्षत्र का विचार भी किया जाता है, किन्तु साधक(Seeker) के पास इन बातो के लिए समय न हो तो यही उचित(Suitable) है की वह या तो रविपुष्य योग में वनस्पति लाकर तंत्र - साधना का प्रारम्भ करे अथवा केवल लग्न को वरीयता देकर कार्य का आरम्भ करे | यदि यह भी संभव न हो तो किसी पंडित से कोई शुभ दिन पूछ लेना चाहिए | हमारे कहने का तात्पर्य(Meaning) यह है की उस दिन कोई घातक(Deadly) या मारक योग न हो | शुभ दिन, शुभ पर्व और शुभ महूर्त में किया जाने वाला कार्य अवश्य ही सफल सिद्ध होता है |

दिन और समय निश्चित हो जाने के पश्चात् उसके ठीक एक दिन पूर्व पूर्वोक्त नियमो(Rules) का पालन करते हुए, संध्या के समय ,सूर्यास्त(Sunset) के पूर्व स्नानादि करके और स्वच्छ वस्त्र धारण करके , उस पौधे (Tree) के पास जाये, जिसकी आवश्यकता है | साथ में जल, अक्षत, रोली, लाल धागा (कलावा ) और धूपबत्ती अवश्य रहे | सर्वप्रथम  पौधे के पास पहुचकर हाथ जोड़कर उसे प्रणाम करे और देव (God) समान ही जानकर निम्नलिखित(Following) मंत्र का जप करे-

मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा 


मंत्र - जप करते हुए ,जल, अक्षत (चावल ) अक्षतो में भी साबुत चावल ही प्रयोग में लाने चाहिए | टूटे ,आधे अथवा चावल - कणों का प्रयोग करना उचित नहीं होता | पूजा के लिए सिन्दूर , हल्दी , कुमकुम मिलाकर और इत्र डालकर चावलों का प्रयोग करना चाहिए | चन्दन , रोली , कलावा आदि से उसकी पूजा करे फिर धूपबत्ती देने के पश्चात पौधे की शिखा (टहनी ) अथवा डाल पर लाल धागा (कलावा ) बांध दे |

उपरोक्त सारे क्रिया कलाप में यह भावना मन में अडिग रहनी चाहिए कि आपके सम्मुख वनस्पति रूप में प्रत्यक्ष एक देवता है और आपकी सहायता करेंगे तथा उनकी कृपा से आपका कार्य पूर्ण और सफल होगा | पूजनोपरांत
हाथ जोडकर पौधे से प्रार्थना करें - हे वनस्पति देवता !मेरा निमंत्रण स्वीकार कीजिये ,मै कल प्रात: आपको लेने आऊंगा ,यह कहकर प्रणाम करके लौट आयें | इस क्रिया कलाप में यह ध्यान रखें कि आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रहे | यह कार्य अकेले रहकर करें तो ,बहुत अच्छा है | यदि किसी को साथ ले जाने की आवश्यकता पड़ ही जाये तो वह व्यक्ति मूकदर्शक की भांति दूर खड़ा रहकर यह नजारा देखता रहे, बोलने या टोकने का प्रयास न करे |

वनस्पति को निमंत्रण देने की समस्त प्रक्रिया सूर्यास्त होते - होते संपन्न हो जानी चाहिए | दुसरे दिन प्रात: सूर्योदय से पूर्व ही नित्यकर्म और स्नान - पूजा से निवृत्त होकर उस पौधे के समीप पहुँच जाना चाहिए | इस दिन यदि रविपुष्य योग है ,तो निमंत्रण का कार्य एक दिन पूर्व अर्थात शनिवार की संध्या में करना चाहिए | किन्तु कभी - कभी रवि पुष्य योग रविवार को प्रात: न होकर, कुछ दिन चढ़ जाने के बाद प्रारम्भ होता है, ऐसी दशा में भी घर से सूर्योदय से पहले ही निकल जाना चाहिए| जब तक रवि पुष्य योग न आये , किसी मंदिर,नदी - तट अथवा उद्यान में रहकर समय की प्रतीक्षा करनी चाहिए तथा योग का समय आ जाने पर, उस पौधे के पास जाकर, उसे प्रणाम करते हुए और उसकी जड़ पर लोटे से जल डालते हुए निम्न मंत्र का जप करें -

बेतालाश्च  पिशाचाश्च राक्षसाश्च सरीसृप: |
आसर्पयन्तु ते सर्वे वृक्षादस्माच्छि वाज्ञया ||

तत्पश्चात ! हाथ जोड़कर स्तुति करें -

नमस्ते मृत सम्भूते, बलवीर्य विवर्धिनी |
बलमायुश्च में देहि, पापान मा त्राहि दूरव ||

अब पौधे का जो भी अंश प्राप्त करना चाहते है,करें | मूल की आवश्यकता हो तो लकड़ी के शस्त्र से खोदकर निकाले और इस कार्य को करते समय भी आगे दिए मंत्र का जप करते रहें -

अत्रैव तिष्ट कल्याणि मम कार्य करी भव |
मम कार्य कृते सिद्धे तत: स्वर्ग गमिष्यति ||
ॐ ह्रीं चण्डिके हुम फट स्वाहा 

उपरोक्त प्रक्रिया को पूर्ण करके वनस्पति को श्रधापुर्वक घर ले लायें| ओर घर के किसी स्वच्छ स्थान पर विराजमान करें | यदि मूल लाएहै | तो शुद्ध जल से उसे धो कर रखें | लगभग सभी वनस्पतियों को लाने का यही विधान है | यधपि किसी -किसी वनस्पति -विशेष के लिए मन्त्र -विशेष की भी व्यवस्था की गई है | जैसे बाँदा नामक परजीवी वनस्पति जो प्राय: आम ,जामुन,महुआ ,पीपल और गुलर जैसे वृक्षों पर स्वत: उत्पन्न हो जाती है | तंत्र प्रयोग में अति प्रभावशाली मानीगई है | तथा उसे लाने के लिएनिम्न मन्त्र का जप भी अवश्य किया जाता है -
                  ॐ वन्दण्डे महादण्डाय स्वहा |

बाँदा लाने का शेष विधान पूर्वत है | वनस्पतियों बहुतअधिक है | और आयुर्वेद तथा तंत्र- विज्ञानं में उसके असंख्य प्रयोग वर्णित है उन सभी का उल्लेख करना असंभव है | बहुत सी जड़ी -बूटिया तो एसी है| जिनकी प्रयोग- विधि  हमें भी ज्ञात नहीं है | इस विषय में हमने जो भी बताया है |उससे अवश्य ही लाभान्वित हुआ जा सकेगा |


    



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